सुख की उम्र कम होती है: मुनिश्री

ग्वालियर। मानव को मालूम नहीं होता है। कि वह जो कार्य करने जा रहा है। वह सही है या गलत, अगर यह ज्ञान हो जाए, तो वह हा कार्य ठीक से करना _ शुरू कर दे। नीचे से ऊपर की ओर जाना अच्छा है, लेकिन ऊपर से नीचे की ओर आना अच्छा नहीं है। ऐसे ही दुख के बाद हर कोई सुख चाहता है, जबकि सुख की उम्र कम होती है और दुख की अधिक। इसलिए समझदारों की यहीं पहचान है कि पहले दुख मांगे, फिर सुख । क्योंकि नीचे से ऊपर जाना ही श्रेष्ठ है। भगवान भी नीचे से ऊपर गए और कभी नीचे नही आएं। उक्त उदार जैन राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने नई सड़क स्थित विमलकुंज में धर्मसभा चर्चा में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनिश्री विजयेश सागर महाराज एवं क्षुल्लक विश्वोत्तर महाराज मौजूद थे। उन्होंने कहा कि दुख से ही सुख की कीमत होती है। एक कहावत - दुनिया को लात मारों, दनिया सलाम करे। यदि हम संसार के धन, वैभव आदि को ठुकरा देते है और वैराग्य को धारण कर ले. तो सारी दनिया चरणों में झुकती है। जो वहां अपना निर्माण करता है, वही निर्माण को प्राप्त होता है।