ग्वालियर। सूर्य देव के मीन राशि में प्रवेश के साथ ही 14 मार्च से खरमास प्रारंभ होगा, जो 13 अप्रैल तक रहेगा। एक माह की अवधि में विवाह व अन्य मांगलिक कार्य नहीं होंगे। पूजा-पाठ व भजन-कीर्तन और सत्संग किए जा सकेंगे। इस अवधि में दान पूर्ण करना अति विशिष्ट फलदायी होता है। खरमास को मलमास भी कहते हैं। इसमें भगवान विष्णु सूर्य आराधना का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य हकमचंद जैन ने बताया कि 14 मार्च को सुबह 11.52 बजे सूर्य के मीन राशि में प्रवेश होगा। ऐसा होने पर विवाह नहीं किए जाते हैं। विवाह मुहर्त 27 अप्रेल से प्रारंभ होंगे जो जून माह तक रहेंगे। इसके बाद नवंबर व दिसंबर में विवाह मुहूर्त रहेंगे। ये काम नहीं होते हैं खरमास में विवाह, नवीन प्रतिष्ठान का शुभारंभ, भवन निर्माण के लिए भूमि पूजन, शिलान्यास आदी नहीं किए जाते हैं। इस अवधि में सुबह जल्दी उठकर सूर्य को जल अर्पित करने से आरोग्यता प्राप्त होती है। आदित्य स्त्रोत का पाठ करने से आत्म बल और मजबूत होता है। इसी तरह खरमास में पुराणों में भगवान विष्णु नाम जप व तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है।